क्या होते हैं जंक फ़ूड ? What is junk food in Hindi?

अगर हम अंग्रेजी के जंक(JUNK) का अनुवाद कर इसको समझना चाहें तो जैसा कि अंग्रेजी में जंक का मतलब होता है कबाड़/कचरा जो किसी काम का नहीं होता है। मतलब कचरा खाद्य पदार्थ जो हमारे के लिए किसी काम के नहीं है और स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकार है। लेकिन अगर हम समझना चाहें कि What is junk food in Hindi तो हमें विस्तार से इसके हर पहलू को समझना होगा।

जंक फ़ूड क्या है?

जंक फूड ऐसा खाना है जिसमें किसी भी प्रकार के पोषक तत्व या तो बहुत काम मात्रा में होते हैं अथवा नहीं होते हैं, लेकिन इनमें कार्बोहायड्रेट, वासा, शर्करा, नमक और अन्य कृत्रिम रसायन जो इसका स्वाद बढ़ाते हैं, की मात्रा हानिकारक स्तर से कहीं ज्यादा होती है।

कोई भी खाद्य पदार्थ बनाने के लिए अगर उसे बहुत ज्यादा प्रसंस्कृत (highly processed) किया जाता है तो वह जंक फ़ूड की श्रेणी में आता है क्योंकि ऐसा करने से उसके पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं और उसे स्वादिष्ट बनाने के लिए उसमें वसा, चीनी, नमक और कृत्रिम खुशबू इत्यादि मिलाएं जाते हैं जो खाने वाले को आकर्षित करते है।

जंक फ़ूड के प्रकार

बाज़ार में मिलने वाले पैक्ड जंक फ़ूड

आज बाज़ार विभिन्न प्रकार के जंक फ़ूड से भरा हुआ है। इन्हें बनाने वाली कंपनियों भी विभिन्न प्रचार माध्यमों से ग्राहक को इन्हे खाने तो उकसाती है। जंक फ़ूड की विशेषता यह होती है कि इनके ख़राब होने का समय (shelf life) लम्बा होता है इसलिए इन्हें बेचना आसान होता है।

बाज़ार में मिलने वाले अधिकांश पैक्ड खाद्य पदार्थ जैसे बिस्किट्स, कुकीज, चिप्स, नमकीन, चॉकलेट, कन्फेक्शनरी, पेय पदार्थ इत्यादि सेंकडो प्रकार के उत्पाद जंक फ़ूड की श्रेणी में आते हैं। इन्हें बनाने के लिए हानिकारक वासा, उच्च शर्करा की मात्रा , नमक इत्यादि का प्रोग किया जाता है।

बाज़ार का खाना

यह जरुरी नहीं है कि बाज़ार में मिलने वाला हर भोजन या खाद्य-पदार्थ जंक ही हो लेकिन उनके जंक होने की संभावनाएं बहुत ज्यादा होती है। क्योंकि इन्हे स्वादिष्ट और आकर्षित बनाने के लिए विभिन्न प्रकार के हानिकारक खाद्य पदार्थ मिलाये जाते हैं जिससे यह लोगों को पसंद आते हैं और लोग इन्हे खाने के लिए बार-बार जाते हैं।

बाज़ार में मिलने वाले पिज़्ज़ा, बर्गर, कचोरी, समोसा, मिठाईयां तो जंक फ़ूड होते ही हैं लेकिन रेस्टोरेंट में मिलने वाली विभिन्न सब्जियां, नान, परांठा इत्यादि भी लगभग जंक फ़ूड ही कहे जा सकते हैं। रेस्टोरेंट में मिलने वाला भोजन अक्सर हमे लालायित करता है कि हम बार-बार जाकर उसे खाएं क्योकि उसमें उच्च वसा, चीनी और नमक की मात्रा मिलायी जाती है।

बहुत सी जगह बाज़ार में सादा भोजन भी मिलता है उसे जंक फ़ूड की श्रेणी से बाहर रखा जा सकता है।

घर का खाना

यह अक्सर माना जाता रहा है कि घर का बना हुआ खाना स्वास्थवर्धक होता है लेकिन आज के परिपेक्ष्य में यह पूरी तरह सही नहीं कहा जा सकता है। आज घर भी वही सब बनाने का प्रचलन बढ़ता जा रहा है जो पहले कभी सिर्फ बाज़ार में ही मिलता था। घर का बना पिज़्ज़ा, मिठाईयां, बर्गर, केक, कुकीज इत्यादि का प्रचलन तेजी से बढ़ा है। विशेषकर कोरोना संक्रमण के दौरान इसमें भारी इज़ाफ़ा हुआ है।

क्या जंक फ़ूड नहीं है

भारतीय सभ्यता में घर का बना सादा खाना न केवल स्वादिष्ट होता है बल्कि स्वास्थवर्धक और संतुष्टि देने वाला भी होता है। इसमें विभिन्न प्रकार मसलों और अच्छे तेलों का प्रयोग किया जाता रहा है। चीनी की जगह भी अधिकतर गुड़ को प्राथमिकता दी जाती है। इस तरह बना हुआ खाना जंक फ़ूड की श्रेणी में नहीं आता है।

कुछ खाद्य पदार्थ जो हम घर पर भी खाते हैं और बाज़ार में भी जैसे दाल-चावल, चपाती-सब्जी, पोहे, इडली, डोसा इत्यादि इन्हें भी जंक फ़ूड की श्रेणी से बाहर रखा जा सकता है।

जंक फ़ूड क्यों और कैसे नुकसान दायक होते हैं?

जैसा कि हमने ऊपर लिखा है कि इसे बनाने में विभिन्न प्रकार के परिशोधित खाद्य पदार्थों का उपयोग किया जाता है जिनका पोषण मूल्य लगभग शून्य होता है और कैलोरी की मात्रा बहुत अधिक होती है। इन खाद्य पदार्थों को इस तरह से तैयार किया जाता है कि वे आकर्षक दिखते हैं और आनंददायक होते हैं इसलिए आपका शरीर इनकी और अधिक मांग करने लगता है।

जंक फूड के लगातार सेवन करने से अतिरिक्त वसा, सरल कार्बोहाइड्रेट और प्रसंस्कृत चीनी का सेवन बढ़ जाता है जिससे अन्य पुरानी स्वास्थ्य समस्याओं के साथ-साथ मोटापे और हृदय रोगों का खतरा बढ़ सकता है। परिणामस्वरूप मोटापा धमनियों में रक्त प्रवाह में बाधा डालता है और दिल के दौरे का कारण बन सकता है। शोध में यह भी सामने आया है कि जंक फूड खाने से मस्तिष्क उसी तरह प्रभावित होता है जैसे नशे की दवाओं का सेवन करने से। जंक फूड की लत से फलों, सब्जियों, सलाद आदि जैसे स्वास्थ्यवर्धक आहार लेने की इच्छा भी कम होने लगती है। शरीर में होने वाले यह परिवर्तन आगे चल कर पोषण की कमी का कारण बनते हैं।

इस तरह के हानिकारक आहार के साथ एक समस्या यह भी है कि इन्हें खाने से संतृप्ति का अहसास नहीं होता और ज्यादा मात्रा में खा लेते हैं। एक दूसरी समस्या यह भी है कि जब हम कार्बोनेटेड उच्च कैलोरी वाले पेय पदार्थ लेते हैं तो स्वास्थवर्धक पेय जैसे फलों का रस अथवा ग्रीन टी नहीं ले पाते हैं और उसे तरह अगर पिज़्ज़ा, बर्गर खाते हैं तो अन्य स्वास्थवर्धक एवं पोषक आहार लेने की संभावनाएं कम हो जाती है।

जंक फ़ूड खाने से कैसे बच सकते हैं?

अगर हम कुछ बातों का ध्यान रखें तो जंक खाने से बचा जा सकता है। जैसे अगर घर के लिए ग्रोसरी खरीदने जा रहे हैं तो एक आदत बना लें कि हानिकारक ट्रांस फेट युक्त खाद्य तेल, परिष्कृत चीनी, मैदा इत्यादि जैसे खाद्य पदार्थ नहीं लेंगे अथवा कम मात्रा में लेंगे इसकी जगह अपरिष्कृत तेल, गुड़ और चौकोर युक्त आटा खरीदेंगे। इससे घर पर बनने वाले जंक फ़ूड में कमी होगी।

अगर कोई डिब्बा बंद खाद्य पदार्थ खरीदते हैं तो लेबल जरूर देखेंगे और ऐसे खाद्य पदार्थ नहीं लेंगे जिसमें मकई स्वीटनर, कॉर्न सिरप, कॉर्न सिरप ठोस, आंशिक रूप से हाइड्रोजनीकृत वसा का इस्तेमाल किया गया हो।

घर पर कोई भी जंक फ़ूड बनाते समय अगर कुछ बातों का ध्यान रख खाने में प्रयोग की जाने वाली सामग्री को बदल दें तो स्वाद में कोई खास फर्क नहीं आएगा लेकिन जंक फ़ूड एक हेल्थी फ़ूड बन सकता है। जैसे पिज़्ज़ा बनाते समय मैदे की जगह आटा , ताज़ा सब्जियों की टॉपिंग्स, घर का बना हुआ पिज़्ज़ा सॉस का प्रयोग करें तो बहुत कुछ बदल सकता है।

किसी रेस्टॉरेंट में खाना खाने का आर्डर देते समय भी हेल्थी फ़ूड की मांग करें, अगर मांग होगी तो हेल्थी खाना भी मिलने लगेगा।

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