साबूदाना कैसे बनता है? जी हाँ यह एक ऐसा प्रश्न है जो हर कोई जानना चाहता है क्योंकि इसके बारे में बहुत सी भ्रांतियां फैलाई गयी है। अक्सर यह सुना गया है कि साबूदाना बनाने की प्रक्रिया ऐसी है जो इसे माँसाहारी बनती है।
आज इसी प्रश्न का उत्तर हम इस लेख में खोजने का प्रयत्न करेंगे।
साबूदाना कैसे बनता है ?
मुझे याद है बचपन में हमारे घर में साबूदाने से बने विभिन्न प्रकार के व्यंजन बनाये और खाये जाते थे लेकिन अचानक एक दिन दादी जी को कहीं से पता चला कि साबूदाना बनाने के तरीके के दौरान उसमें कीड़े पड़ जाते हैं जिसके कारण यह माँसाहारी हो जाता है। बस क्या था उसके बाद से हमारे घर में साबूदाने आना बंद हो गए।
क्या वास्तव में ऐसा होता है? जब बड़े होने पर मैंने इसकी जानकारी जुटाई कि साबूदाना कैसे बनता है तब इसकी सच्च्चाई पता चली। तो आईये जानते हैं साबूदाना बनने की पूरी प्रक्रिया।
बचपन में इंटरनेट की सुविधा नहीं थी लेकिन आज हर सवाल का जवाब सिर्फ एक क्लिक पर मिल जाता है। सबसे पहली बात तो यह कि यह एक प्रकार की वनस्पति से प्राप्त स्टार्च से बनाया जाता है इसलिए शाकाहारी होता है लेकिन उस समय चिंता की बात यह थी कि इसको बनाने के दौरान इसमें कीड़े पड़ जाते हैं इसलिए यह मांसाहारी की श्रेणी में आता है। यह बात कितनी सत्य है, आईये इसको जानने की कोशिश करते हैं।
साबूदाना बनाने की विधि
साबूदाना उष्णकटिबंधीय प्रदेशों में पाए जाने वाले टोपियको नामक पौधों की जड़ों से प्राप्त स्टार्च से बनाया जाता है। इसकी खेती मुख्यत: ब्राज़ील में शुरू हुई और वहां से दक्षिण अमेरिकी महाद्वीप से अफ्रीका होता हुआ एशिया पहुंचा।
भारत में इसकी शुरुआत दक्षिण भारत में तमिलनाडु के सेलम से हुई जहाँ आज न केवल इसके पौधे की खेती की जाती है अपितु पूरे भारत के साबूदाने की मांग भी पूरी होती है और इसे निर्यात भी किया जाता है।
इस पौधे की जड़ें शकरकंद के सामान ही होती है जिनमें स्टार्च की भरपूर मात्रा होती है।
जब इसकी जड़ें पूरी तरह विकसित हो जाती है तो इन्हे निकल कर फैक्ट्री में साबूदाना बनाने के लिए भेज दिया जाता है।
साबूदाना कैसे बनता है – साबूदाना बनाने के लिए सबसे पहले इन्हे अच्छी तरह से धोया जाता है, इनके छिलकों को मशीन द्वारा निकल कर टुकड़ों में काट कर महीन पीस कर पेस्ट बना लिया जाता है। अब इस पेस्ट में पानी मिला कर मशीनों की सहायता से स्टार्च और इसमें उपस्थित fibers (रेशों) को अलग किया जाता है।
अब पल्प में उपस्थित रेशों को अलग करने के बाद इसका अतिरिक्त पानी निकल लिया जाता है और बचे हुए गूदे में सिर्फ स्टार्च बचता है। इस स्टार्च से ही साबूदाना बनाया जाता है। इस गूदे को या तो धूप में अथवा ड्रायर मशीनों की सहायता से तब तक सुखाया जाता है जब तक की इसमें 12% पानी की मात्रा ही बची रह जाती है।
इस तरह से प्राप्त गाढ़े गूदे से साबूदाने को छोटे-छोटे दाने के रूप में बना कर पूरी तरह सूखा लिया जाता है और साबूदाना हमारे पास पहुँचने के लिए तैयार हो जाता है।
क्या साबूदाना माँसाहारी है?
जैसा कि हमने देखा कि साबूदाने को बनाने के लिए एक प्रकार की पौधों की जड़ों का प्रयोग किया जाता है और इसे बनाने की साड़ी प्रक्रिया आधुनिक मशीनों की सहायता से पूरी की जाती है जहाँ किसी भी तरह के पशु पदार्थों का कोई प्रयोग नहीं किया जाता है और न ही ऐसी कोई प्रक्रिया होती है जहाँ इसमें किसी तरह के कीड़े पड़ने की कोई संभावनाएं होती है।
इस तरह यह बात बिलकुल निराधार है कि साबूदाना किसी भी तरह से माँसाहारी खाद्य पदार्थ होता है। यह एक प्रकार से पूरी तरह से शुद्ध शाकाहारी (वीगन) खाद्य पदार्थ है जिसे बिना किसी ग्लानि के तरह -तरह के व्यंजन बना कर भरपूर लुत्फ़ लिया जा सकता है।
साबूदाने में कोई विशेष पौष्टिक पदार्थ नहीं होते लेकिन कार्बोहायड्रेट की भरपूर मात्रा होती है इसलिए यह खाने में स्वादिष्ट लगता है और इसका व्रत में भरपूर उपयोग किया जाता है।
साबूदाने से बनने वाले कुछ ख़ास व्यंजन
चूँकि साबूदाना बनाने के लिए किसी भी प्रकार के अन्न का प्रयोग नहीं किया जाता है इसलिए इसका मुख्य रूप से व्रत में खाये जाने वाले व्यंजन बनाने में प्रयोग किया जाता है। इससे बनने वाले कुछ व्यंजन इस प्रकार हैं –
- साबूदाने की खीर
- साबूदाने की खिचड़ी
- साबूदाने के पापड
अगर आप को भी साबूदाने को लेकर किसी भी तरह की शंका है तो इस शंका को बिलकुल निकल कर इससे बनाने वाले व्यंजनों का भरपूर लुत्फ़ उठायें।
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