खसखस क्या होता है, और क्या हैं खसखस खाने के फायदे?

एक बहुत ही गुणकारी खाद्य पदार्थ या कहें कि एक फल के बीज जिन्हें विभिन्न तरह से खाने में मिलाया जाता है। यह एक ऐसे फल से मिलता है जिसकी खेती करने के लिए लाइसेंस की आवश्यकता होती है और इसके फलों से निकला रस बहुत नशीला होता है। अगर आप इसके बारे में नहीं जानते हैं तो आज हम जानने की कोशिश करेंगे कि खसखस क्या होता है, और क्या हैं खसखस खाने के फायदे?

खसखस क्या है?

अफीम, जिसका नाम सुन कर ही न जाने क्या-क्या विचार आने लगते हैं, उसी के बीजों को खसखस कहा जाता है। अफीम जितना नशीला पदार्थ होता है उतने ही उसके यह बीज ‘खसखस’ गुणकारी होते हैं। जहाँ अफीम को खरीदना-बेचना प्रतिबंधित ही वही खसखस पर ऐसा कोई प्रतिबन्ध नहीं है, इसे आसानी से बाज़ार से खरीद कर उपयोग किया जा सकता है।

इसके कच्चे बीजों में मादक गुण पाए जाते हैं जिससे इनको खाने से इसकी लत लग सकती है लेकिन पके हुए बीजों में मादकता का गुण नहीं पाया जाता है।

इसमें मैग्नीशियम, कैल्शियम, आयरन, और पोटेशियम जैसे खनिजों की प्रचुर मात्रा के अलावा फाइबर और आवश्यक फैटी एसिड भी भरपूर मात्रा में होता है.

खसखस कैसे प्राप्त होता है?

इसकी कोई अलग से खेती नहीं की जाती है,जब अफीम की खेती समाप्त होती है और फलों का रस निकल लिया जाता है तब उसके सूखे हुए फलों से इन बारीक बीजों को निकाल लेते हैं, जो खसखस के नाम से बाज़ार में मिलते हैं।

खसखस के प्रकार

आमतौर पर खसखस तीन प्रकार का होता है। सफ़ेद, नीला और ओरिएण्टल

सफ़ेद खसखस – भारत सहित एशिया के अन्य देशों में सफेद खसखस का उत्पादन और उपयोग किया जाता है।

नीला खसखस – यह ब्रेड और कन्फेक्शनरी में उपयोग में लिया जाता है इसे यूरोपीय खसखस भी कहा जाता है।

ओरिएण्टल खसखस – इसे ओपियम पॉपी भी कहा जाता है, जिससे अफीम पैदा की जाती है।

खसखस को इंग्लिश में क्या कहते हैं – खसखस in English

अंग्रेजी में इसे पॉपी सीड्स (Poppy seeds) कहा जाता है। खसखस का वैज्ञानिक नाम पेपेवर सोम्निफेरम है

इसे अन्य नामों जैसे खसखास, पोस्त, पोस्ता, खशखाश, अहिफेनबीज से भी जाना जाता है।

खसखस का उपयोग

खसखस खाने के फायदे बहुत होते हैं इसलिए इसका खाने में उपयोग अलग-अलग प्रदेशों में विभिन्न तरीकों से किया जाता है। इसके उपयोग से व्यंजन और भी लजीज़ और पौष्टिक हो जाते हैं।

  • आंध्र प्रदेश में सफेद खसखस ​​के पेस्ट का उपयोग एक मसाले के रूप में विभिन्न स्थानीय व्यंजन बनाने में किया जाता है।
  • बेकरी उद्योग में टोस्ट, ब्रेड, पेस्ट्री इत्यादि में खसखस के दाने मिलाये जाते हैं।
  • महाराष्ट्र में एक विशेष प्रकार की मिठाई अनारकला बनाने के लिए खसखस ​​का उपयोग किया जाता है।
  • किसी भी ग्रेवी को गाढ़ा करने के लिए इसके पेस्ट का उपयोग किया जाता है जिससे उसका जायका बढ़ जाता है।
  • विभिन्न प्रकार की मिठाईयों को गार्निश करने के लिए भी इसका उपयोग किया जाता है।
  • उत्तर भारत में एक मुख्य शीतल पेय ठंडाई बनाने में इसका सबसे ज्यादा प्रयोग किया जाता है। इसे आमतौर पर गर्मियों की शुरुआत होली के पर्व पर बनाया जाता है।

खसखस की तासीर कैसी होती है ?

इसकी तासीर ठंडी होती है इसलिए गर्मियों में इसकी बानी ठंडाई का सेवन गर्मी से रहत पाने के लिए किया जाता है।

विभिन्न बिमारियों में खसखस का उपयोग

भोजन में लेने से तो खसखस खाने के फायदे हैं लेकिन इसका उपयोग अच्छे स्वास्थ्य अथवा अलग-अलग रोगों में राहत दिलाने में भी किया जाता है।

1. मस्तिष्क स्वास्थ्य के लिए

समुचित मस्तिष्क के विकास के लिए खसखस का नियमित उपयोग बहुत फायदेमंद हो सकता है। यह दिमागी क्षमता बढ़ाने के लिए जाने जाने वाले पोषक तत्वों जैसे – कैल्शियम, आयरन व कॉपर से भरपूर होता है। इसमें मौजूद कैल्शियम न्यूरोनल फंक्शन को संतुलित करने के साथ-साथ याददाश्त को भी बढ़ाने का काम करता है (1)।

2. स्वस्थ्य त्वचा के लिए

इसको 2-3 घंटे पानी में भिगो कर इसका पेस्ट बना कर त्वचा पर लगाने से न केवल त्वचा कोमल व मुलायम होती है बल्कि विभिन्न त्वचा रोग जैसे दाद, रूखी त्वचा, जलन आदि में भी फायदेमंद पाया गया है।

इसमें उपस्थित लिनोलिक एसिड एक्ज़िमा और सूजन से भी राहत दिलाते हैं।

इसका स्क्रब बना कर चेहरे पर लगाने से कील मुहांसे और झुर्रियों को दूर करता है और त्वचा खिली-खिली लगती है। यह मॉश्चराइज़र का भी काम करता है।

3. पेट सम्बंधित रोग

फाइबर की प्रचुर मात्रा होने के कारण कब्ज़ से भी निजात दिलाता है। (2)

4. हृदय स्वास्थ्य के लिए

डाइटरी फाइबर से भरपूर यह कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम कर हृदय रोगों से बचाता है। एक अध्ययन के अनुसार खसखस तेल (Poppy Seed Oil) का उपयोग खाद्य पदार्थों में करने से कोलेस्ट्रॉल की मात्रा नियंत्रित की जा सकती है (3)। इसके अलावा, खसखस में मौजूद ओमेगा -6 फैटी एसिड भी हृदय रोग से बचाव कर सकता हैं।

5. आँखों के लिए

एक अध्ययन में सामने आया है कि बढ़ती उम्र के साथ होने वाले मैक्यूलर डिजेनेरेशन (नेत्र रोग) के जोखिम को कम करने में जिंक फायदेमंद होता है और खसखस जिंक का अच्छा स्रोत है (4)(5) इसलिए, जिंक के स्रोत के रूप में खसखस को आहार में शामिल किया जा सकता है।

6. पथरी के लिए

पॉपी सीड अर्थात खसखस में ऑक्सलेट नामक योगिक पाया जाता है, जो शरीर में कैल्शियम की मात्रा को नियंत्रित करने में अहम् भूमिका निभाता है (6)। विभिन्न शोधों में यह साबित हुआ है कि कैल्शियम का अधिक जमाव किडनी स्टोन का कारण बन सकता है इसलिए किडनी स्टोन से पीड़ित मरीजों के लिए खसखस एक प्रभावी समाधान हो सकता है।

7. श्वशन रोग

खसखस मैं मौजूद जिंक फेफड़ों के स्वास्थ्य के लिए एक महत्वपूर्ण तत्व माना जाता है, जो अस्थमा के इलाज में प्रभावी भूमिका निभा सकता है (7)। यह श्वास नलिका (Respiratory Path) में सूजन और विषाक्त पदार्थों के खिलाफ साइटो प्रोटेक्टिव (Cytoprotective) के रूप में कार्य करता है।

8. कैंसर की रोकथाम के लिए

एक रिपोर्ट के अनुसार खसखस कार्सिनोजेन-डिटॉक्सिफाइंग एंजाइम की गतिविधि को 78 प्रतिशत तक बढ़ा सकता है, जिसे ग्लूटाथिओन-एस-ट्रांसफरेज (जीएसटी) कहा जाता है। खसखस की यह गतिविधि कैंसर से रोकथाम का कार्य कर सकती है (8)।

एक रिपोर्ट के अनुसार खसखस को कैंसर की पारंपरिक दवा के रूप में भी जाना गया है। रिपोर्ट बताती है कि खसखस को त्वचा, पेट, गर्भाशय व योनि के कैंसर जैसी स्थितियों के लिए कारगर दवा के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है (9)।

9. दर्द निवारक के रूप में

जैसा कि खसखस में कैल्शियम, फास्फोरस, जिंक और मैंगनीज की अच्छी मात्रा पाई जाती है, इसलिए माना जाता है कि यह जोड़ों के दर्द में फायदेमंद साबित हो सकता है। वहीं, खसखस का इस्तेमाल लंबे समय से एनाल्जेसिक (दर्द निवारक दवा) के रूप में किया जा रहा है। एक रिपोर्ट के मुताबिक पॉपी सिड्स की चाय दर्द को दूर करने काम कर सकती है (10)। ध्यान रहे कि इसे दर्द निवारक के रूप में इस्तेमाल करने से पहले डॉक्टरी परामर्श जरूर लें।

10. शारीरक कमजोरी

शारीरक कमजोरी को दूर करने के लिए खसखस बहुत लाभकारी सिद्ध हो सकता है। इसमें भरपूर मात्रा में कार्बोहाइड्रेट और अन्य पोषक तत्वों पाए जाते हैं (11), जिसे आहार में ऊर्जा का जरूरी स्रोत माना जाता है (12)। शरीर में ऊर्जा की पूर्ति और ऊर्जा के संतुलन के लिए आप खसखस का सेवन कर सकते हैं।

खसखस खाने के नुकसान

वैसे तो खसखस को एक समुचित मात्रा में सेवन करने से कोई हानिकारक प्रभाव नहीं देखे गए हैं लेकिन किसी कारणवश अत्यधिक मात्रा में सेवन करने से उलटी, जी घबराना, कब्ज़ इत्यादि की शिकायत हो सकती है। जैसा की हमने शुरुआत में बताया कि इसके कच्चे बीजों में मादक गुण पाए जाते हैं इसलिए अगर इसमें किसी कारणवश कच्चे बीजों की मिलावट हो तो इसका सेवन बहुत हानिकारक हो सकता है।

गर्भावस्था में खसखस

प्रेग्नेंसी के दौरान सिमित मात्रा में इसका उपयोग होने वाले बच्चे और माँ दोनों के स्वास्थ्य पर सकारत्मक प्रभाव करता है। दुग्धपान कराने वाली माताओं में भी इसका सेवन लाभदायक होता है।

कितनी है खसखस की कीमत?

वर्तमान में अच्छी किस्म के खसखस की कीमत लगभग 800-1500 रु प्रतिकिलो है (दिसंबर 2020)

खसखस के बारे में रोचक तथ्य

खसखस खाने के फायदे के अलावा इससे जुड़े कई रोचक तथ्य भी है –

एक प्राचीन भारतीय तौल:”आठ खसखस बराबर एक चावल और आठ चावल बराबर एक रत्ती होती है”

विभिन्न कारणों से कई देशों में इसको रखने, बेचने और खरीदने पर प्रतिबन्ध है और ऐसा करने पर सज़ा का भी प्रावधान है।

  • ताइवान में खसखस पर प्रतिबंध है, इसका मुख्य कारण यह है कि अगर बीजों को बेचा जाएगा तो उगाने के लिए उपयोग किया जा सकता है।
  • विभिन्न प्रकार की अरबी ब्रेड बनाने में इसके वर्तमान उपयोग के बावजूद, विभिन्न धार्मिक और नशीली दवाओं के नियंत्रण कारणों के लिए सऊदी अरब में खसखस पर प्रतिबंधित लगाया गया है।
  • संयुक्त अरब अमीरात में एक मामले में, एक यात्री के कपड़ों पर पाए जाने वाले खसखस के कारण उसे कारावास की सजा हुई।
  • मलेशिया में सांसद दातुक मोहम्मद सईद युसोफ द्वारा चिंता जताई गई, जिन्होंने 2005 में दावा किया था कि मामक रेस्तरां ग्राहकों को इसकी लत लगाने के लिए अपने खाना पकाने में खसखस का इस्तेमाल करते थे।

अगर आप्के आस पास खसखस उपलब्ध नहीं है तो आप Amazon से घर बैठे इसे मंगवा सकते हैं।

खसखस की घास

आपने अभी तक खसखस के बारे में और खसखस खाने के फायदे के बारे में जाना लेकिन एक अन्य पौधा होता है जिसकी जड़ों को भी खसखस कहा जाता है।

यह एक प्रकार की सुगन्धित घास होती है लेकिन इसका खाने वाली खसखस से कोई सम्बन्ध नहीं है। इसका वानस्पतिक नाम वेटिवीरिआ जिजेनिऑयडीज (Vetiveria) है। भारत में प्राचीन काल से ही इसकी जड़ों का उपयोग इत्र बनाने और ओषधि के रूप में होता आ रहा है। इस पौधे की जड़ों का उपयोग विशेष प्रकार का पर्दा बनाने में होता है जिसे ‘खस की टट्टी’ कहते हैं। इसको ग्रीष्म ऋतु में कमरे तथा खिड़कियों पर लगाते हैं और पानी से तर रखते हैं जिससे कमरे में ठंडी तथा सुगंधित वायु आती है और कमरा ठंडा बना रहता है।

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