घर बैठे खाना(online food delivery) : कितना मज़ा और कितनी सजा?

इंटरनेट के युग में कोई काम जो कुछ वर्षों पूर्व तक अकल्पनीय था आज बस एक क्लिक पर संभव हो गया है। हम हर चीज़ घर बैठे ही चाहने लगे हैं। वह चाहे पैसे कमाने का तरीका हो, शॉपिंग हो, मूवी देखना हो या कुछ भी।

इन सबके बीच आज जो सबसे नया ट्रेंड चल रहा है वह है घर बैठे खाना मंगवाना। जब से online food delivery की सेवाएं क्या शुरू हुई है हम वह सब स्वाद घर बैठे ही लेना चाहते हैं जिसके लिए किसी रेस्टॉरेंट में जाने से पहले कई बार सोचते थे। रही सही कसर इन कंपनियों द्वारा दी जाने वाले भरी डिस्काउंट ने पूरी कर दी। जिस कीमत में कोई खाना घर से निकल कर किसी रेस्टॉरेंट में जा कर खाते थे उससे कहीं कम कीमत पर अब घर बैठे मिलने लगा है।

क्या समस्या है online food delivery के साथ?

कभी-कभी जो सब कुछ अच्छा सा लगता है वह उतना होता नहीं है। वैसे तो ऑनलाइन शॉपिंग आज बहुत लोकप्रिय हो गया है लेकिन इसके भी कुछ नकारात्मक पहलू है। कुछ नकारात्मक पहलू ऐसे होते हैं जो बहुत ध्यान देने योग्य होते हैं लेकिन हम अपने फायदे के कारण देख नहीं पाते। अब जब खाना भी ऑनलाइन आर्डर पर उपलब्ध हो रहा है तो यह बहुत जरुरी हो गया है कि हम इस पर गंभीरता से ध्यान दें।

किसी भी चीज़ की ऑनलाइन डिलीवरी पाना अपने आप में एक अलग ही ख़ुशी होती है। मैं अपनी ही बात करूँ तो मुझे भी औरों की तरह इसका अलग ही आनंद आता है, लेकिन मेरा आनंद तब एक अफ़सोस में बदल गया जब मेने online food delivery का आनंद लेने के लिए खाने का आर्डर दिया।

कारण कोई बहुत बड़ा नहीं है लेकिन गहराई से सोचने पर बहुत बड़ा लगता है। online shopping में भी यह बात लागू होती है लेकिन food delivery से काफी कम।

जब पहली बार मेने अपना और परिवार के लिए घर बैठे खाने का आर्डर दिया था तो हम सब बहुत उत्सुकता से खाने का इंतज़ार कर रहे थे। खाना आने के बाद सभी ने बहुत आनंद से खाने का लुत्फ़ भी उठाया लेकिन मेरा मज़ा एक सजा में बदल गया जब मुझे खाने के साथ आने वाला ढेर सारा प्लास्टिक का पेकिंग मटेरियल समेट कर कूड़ेदान में डालना पड़ा।

यह food delivery सेवाएं न केवल भोजन वितरित कर रही हैं, अपितु वे बहुत सारे अतिरिक्त अवांछित सामान भी साथ-साथ वितरित कर रही हैं: बैग, बक्से, रैपिंग, नैपकिन, बर्तन, मसालों के पैक, केचप के पाउच या सोया सॉस पैकेट, नैपकिन यह सब कचरा भी आपके खाने के आर्डर के साथ आता है।

पैकेजिंग और एकल-उपयोग की वस्तुओं(single use material) के साथ हमारे भोजन का आना, हमारे आनंद से कही ज्यादा हमे चिंतित करने वाला है। पर्यावरण संरक्षण एजेंसी के अनुसार, देश भर में उत्पन्न सभी कचरे का लगभग 30 प्रतिशत पैकेजिंग के लिए होता है, और इसमें डिस्पोजेबल प्लेट और बर्तन, डायपर, जंक मेल और पेपर तौलिए जैसे अन्य एकल-उपयोग आइटम शामिल नहीं हैं।

कुछ पलों के लिए उपयोग किये जाने वाला यह प्लास्टिक हमारी धरती पर प्लास्टिक के ढेर को बहुत तेजी से बढ़ा रहा है। इन single use material के निर्माण, वितरण और प्रयोग के बाद निबटाने में ही काफी ऊर्जा खर्च हो जाती है जो कुल ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन का एक बड़ा हिस्सा उत्सर्जित करती है।

वैसे तो प्लास्टिक का उपयोग हर जगह हो रहा है लेकिन single use plastic सबसे ज्यादा हमारे पर्यावरण को हानि पहुंचा रहा है। हमारे खाने पीने के सामान की पेकिंग में इसका उपयोग तेजी से बढ़ रहा है।

Single use plastic अक्सर रीसायकल भी नहीं होता और सीधे कचरे में फेंक दिया जाता है। हमें वास्तव में रीसाइक्लिंग को कम करने और पुन: उपयोग को प्राथमिकता देने की ज्यादा आवश्यकता है। और Single use plastic कभी भी दुबारा प्रयोग करने लायक नहीं बनाया जाता। या तो इसे रीसायकल किया जाये या फेंक दिया जाए।

निश्चित ही डिस्पोजेबल कंटेनर्स ने हमारे जीवन को सुविधाजनक और आसान बनाया है लेकिन हमारी कुछ क्षणों की सुविधा के बाद पैदा होने वाली असुविधा कहीं ज्यादा भयानक और चिंतित करने वाली है।

अगर disposable plastic container के नुकसान पर एक नज़र डालें तो मुझे पूरा विश्वास है कि इन्हे उपयोग करने का मजा अवश्य ही एक सजा प्रतीत होने लगेगा।

Single use plastic कैसे नुकसान दायक है?

थोड़ा सा खाना और ढेर सारा प्लास्टिक

1. जब इस तरह के प्लास्टिक कचरे से छुटकारा पाने के लिए इसको जलाया जाता है, तो वे जहरीली गैसों और धुएं का उत्पादन करते हैं

2. अधिकांश प्लास्टिक कचरे के सड़ने से कचरे के कारण सूक्ष्मजीव पैदा होते हैं।

3. जल निकायों में फेंके गए प्लास्टिक जलीय जीवन के लिए खतरा पैदा करते हैं।

4. प्लास्टिक में मौजूद विषाक्त पदार्थ जो जलस्रोतों में डंप होते हैं, जलीय जीवों में प्रजनन विफलता का कारण बन सकते हैं।

5. प्लास्टिक बारिश के पानी को जमीन में रिसने से रोकता है।

6. जमीन में प्लास्टिक का डंपिंग क्षेत्र में बढ़ने वाले पौधों को प्रभावित करता है क्योंकि उन्हें मिट्टी से पर्याप्त पानी नहीं मिलता है।

पर्यावरण के खतरों के अतिरिक्त प्लास्टिक में पैक किया गर्म खाना भी दूषित होने लगता है। ऐसा खाना लम्बी अवधि में कई रोगों का कारण बनता है।

अब यह देखना भी दिलचस्प होगा कि प्रधानमंत्री के 2 अक्टूबर 2019 से single use plastic का प्रयोग नहीं करने के आह्वान के बाद online food delivery करने वाली जोमेटो, स्विगी और उबर इट्स जैसी कंपनियों का भविष्य क्या होगा? किस तरह यह कंपनियां इसका विकल्प तलाश कर अपने बिज़नेस को आगे बढ़ाएगी?

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