विटामिन डी की कमी के लक्षण और उपचार

यदि हम प्रतिदिन पर्याप्त धूप का सेवन नहीं करते हैं और अपने आहार में विटामिन डी युक्त आहार का सेवन नहीं करते हैं तो बहुत जल्दी हमारे शरीर में विटामिन डी की कमी होने लगती है। कुछ खाद्य पदार्थों के अतिरिक्त सूर्य की रौशनी ही हमारे लिए विटामिन डी का मुख्य स्त्रोत है। हमारे शरीर में क्या होते हैं विटामिन डी की कमी के लक्षण कैसे हम इसकी कमी पूरी कर एक स्वस्थ्य जीवन जी सकते हैं ? यह जानने के लिए इस लेख को पूरा ध्यानपूर्वक पढ़ें।

सूरज की रौशनी को विटामिन डी के मुख्य स्त्रोत के रूप में जाना जाता है, सूर्य की रोशनी के संपर्क में आने से शरीर में विटामिन डी निर्माण होता है। यह कुछ खाद्य पदार्थों जैसे अनाज और अन्य माँसाहारी भोजन में स्वाभाविक रूप से भी पाया जाता है लेकिन फिर भी धूप ही इसका मुख्या स्त्रोत माना जाता है।

क्या होता है विटामिन डी?

विटामिन डी का रासायनिक नाम

विटामिन डी का रासायनिक नाम कैल्सिफेरोल(calciferol) है। मनुष्यों में, इस समूह में सबसे महत्वपूर्ण यौगिक विटामिन डी 3 जिसे कोलेकल्सीफेरोल(cholecalciferol) भी कहा जाता है और विटामिन डी 2 जिसे रासायनिक भाषा में एर्गोकैल्सीफेरोल(ergocalciferol) कहते हैं।

शरीर में विटामिन डी कितना होना चाहिए?

विटामिन डी शरीर में कितना होना चाहिए इसके लिए विभिन्न संस्थाओं द्वारा विटामिन डी की शरीर में न्यूनतम मात्रा अलग-अलग बताई गयी है लेकिन The Vitamin D Council ने इसकी आदर्श मात्रा 40-80 ng/mL(नेनोग्राम प्रति मिलीलीटर) निर्धारित की है। वहीँ 20ng/ml की मात्रा को शरीर में विटामिन डी की कमी माना गया है। नार्मल विटामिन डी लेवल्स हमारे शरीर को कई रोगों से बचता है।

क्यों जरुरी है विटामिन डी हमारे लिए?

यह वसा में घुलनशील सेकोस्टरॉइड (fat-soluble secosteroids) का समूह है जो कैल्शियम, मेग्नीशियम और फॉस्फेट सहित अन्य तत्वों के हड्डियों में अवशोषण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसकी अनुपस्थिति में धीरे-धीरे हड्डियॉं कमजोर होने लगती है।

इसके अतिरिक्त शरीर में विटामिन डी की सही मात्रा से बहुत रोगों जैसे टाइप 1और टाइप 2डाइबिटीज, उच्च रक्तचाप, ग्लूकोज असहिष्णुता(glucose intolerance), और मल्टीपल स्केलेरोसिस से बचाव में मदद मिलती है।

शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में भी इसका महत्वपूर्ण योगदान होता है।

विटामिन डी की कमी के कारण

भोजन में पर्याप्त विटामिन डी का न होना

Vit D की कमी बहुत आम है, ज्यादातर व्यक्तियों में इसकी मात्रा आदर्श मात्रा से कम ही पायी जाती है। इसका मुख्य कारण पर्याप्त धूप सेवन नहीं करना है। चूँकि सूर्य का प्रकाश ही मुख्य रूप से हमारे शरीर की विटामिन डी की जरूरत को पूरा करता है क्योंकि भोजन से यह बहुत ही सिमित मात्रा में और विशेषकर शाकाहारी भोजन से इसकी आवश्यक मात्रा प्राप्त नहीं होती है।

पर्याप्त धूप का सेवन नहीं करना

आज की जीवन-शैली हमें धूप से बचाव करने के लिए प्रेरित करती है और प्रतिदिन आवश्यक सूर्य का प्रकाश नहीं मिलने के कारण शरीर में पर्याप्त विटामिन डी नहीं बन पाता है। इसके अतिरिक्त अगर आप का काम ऐसा है कि आप ज्यादातर घर या ऑफिस में ही रहते हैं या किसी कारणवश ऐसे कपडे पहनते हैं जिससे आपकी त्वचा सूर्य प्रकाश के संपर्क में नहीं आ पाती, ऐसी स्तिथि में भी vitamin D की कमी होने की संभावनाएं होती है।

गहरे रंग की त्वचा

पृथ्वी के उत्तरी अक्षांश में रहने वाले लोग जहाँ सूर्य का प्रकाश बहुत कम समय के लिए उपलब्ध होता है अथवा ऐसे लोग जिनकी त्वचा का रंग गहरा होता है उनके शरीर में भी विटामिन डी पर्याप्त मात्रा में नहीं बन पाता है और इसकी कमी के लक्षण नज़र आने लगते हैं। कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि गहरे रंग की त्वचा वाले बड़े वयस्कों में विटामिन डी की कमी का खतरा अधिक होता है।

किडनी की अक्षमता

यदि उम्र अथवा अन्य किसी कारणवश किडनी विटामिन डी को उसके एक्टिव रूप में नहीं बदल पा रही है तब भी शरीर में विटामिन डी की कमी होने की संभावनाएं होती है।

पाचन तंत्र में गड़बड़ी

कुछ बिमारियों जैसे Crohn’s diseasecystic fibrosis, and celiac disease, के कारण पाचन तंत्र भोजन द्वारा ग्रहण किये गए विटामिन को ठीक से अवशोषित नहीं कर पाता है जिसके कारण भी शरीर में विटामिन डी नार्मल रेंज से कम हो जाता है।

मोटापा

शरीर के फैट सेल्स में उपस्थित विटामिन डी खून में अवशोषित होता है लेकिन BMI 30 या उससे अधिक होने पर अवशोषण में कमी हो जाती है फलस्वरूप यह विटामिन डी के कमी का कारण बनता है।

विटामिन डी की कमी के लक्षण

हड्डियों में निरंतर लम्बे समय तक दर्द और मांसपेशियों की कमजोरी इस बात का संकेत हो सकता है कि आपको विटामिन डी की कमी है। इन लक्षणों के दूसरे कारण भी हो सकते हैं लेकिन इन परिस्तिथियों में vit D की कमी की सम्भावना को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता है।

शरीर में लम्बे समय तक विटामिन डी की कमी बने रहने से बहुत सी बिमारियों के लक्षण दिखाई देने लगते हैं जैसे –

  • हृदय रोग से मृत्यु का खतरा बढ़ जाता है
  • वयस्कों में सिखने और समझने की क्षमता में कमी होना।
  • शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमी।
  • बच्चों में गंभीर अस्थमा की स्तिथि
  • कैंसर की प्रबल सम्भावना

विटामिन डी के स्रोत

प्राकृतिक स्त्रोत

जैसा कि इस लेख के शुरुआत में ही बताया गया है कि हमारी त्वचा के सूर्य की रौशनी के संपर्क में आने से शरीर में इसका निर्माण होता है अत: प्रतिदिन धूप सेवन करने से शरीर में विटामिन डी की आवश्यक मात्रा का स्तर बना रहता है जो हमे कई रोगों से बचता है।

हमारी त्वचा के सूरज की रौशनी के संपर्क में आने से बनने वाला पदार्थ और भोजन द्वारा लेने वाला विटामिन डी एक्टिव नहीं होता है। यह आगे लिवर और किडनी में जा कर एंजाइम की सहायता से शरीर के उपयोग लायक एक्टिव विटामिन डी में परिवर्तित होता है।

अत्यधिक धूप का एवं कैंसर का कारण भी बन सकता है अत: ऐसी अवस्था में खाद्य पदार्थों द्वारा विटामिन डी के सेवन का सुझाव दिया जाता है।

विटामिन डी वाले आहार: माँसाहारी भोजन में इसकी प्रचुर मात्रा पायी जाती है लेकिन जो वीगन हैं उनके लिए धूप का नियमित सेवन और विटामिन डी युकी फ्रूट जूस और अन्य आहार लेना चाहिए।

पराबैंगनी प्रकाश के संपर्क में आने वाले कुछ मशरूम में भी विटामिन डी की मात्रा पायी जाती हैं।

अन्य कृत्रिम स्त्रोत

किस प्रकार का विटामिन डी सबसे अच्छा है? विटामिन डी 3 या कोलेसकैल्सीफेरोल, यह विटामिन डी का प्राकृतिक रूप है जो हमारे शरीर में धूप से बनाता है।

अगर प्राकृतिक स्त्रोत से इसकी कमी पूरी नहीं होती है तो इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिसिन के दिशानिर्देशों के अनुसार डॉक्टर विटामिन डी की कमी को ठीक करने के लिए 4,000 IU से अधिक लिख सकते हैं।

बाज़ार में कई प्रकार के विटामिन डी और केल्सियम सप्लीमेंट्स उपलब्ध है जिन्हे आप चिकित्सक की सलाह से ले सकते हैं। Amazon पर भी आप घर बैठे मंगवा सकते हैं।

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