रुपे कार्ड भारत सरकार का एक बहुत ही महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट है। इसे 2011 में विकसित किया गया था। 2014 में भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने इसकी शुरुआत की थी।
नरेंद्र मोदी ने प्रधान मंत्री बनने के बाद इसे एक मिशन के रूप में लिया है। आज भारत के अतिरिक्त सिंगापुर और भूटान में इसकी शुरुआत हो चुकी है।

रुपे कार्ड क्या है?
रुपे भारत का स्वदेशी भुगतान प्रणाली पर आधारित एटीएम कार्ड है, जिसकी सीधी टक्कर अमेरिकी कम्पनी मास्टरकार्ड और वीसा से है।
रुपे कार्ड को विकसित करने के पीछे यही उद्देश्य रहा होगा कि, भारत एक विशाल जनसँख्या वाला देश है और आने वाले समय में भारतीय, अपनी खरीददारी के लिए ज्यादा से ज्यादा कैशलेश भुगतान करेंगे।
अगर भारत विदेशी भुगतान प्रणाली पर ही निर्भर रहे तो बड़ी मात्रा में विदेशी मुद्रा देश से बाहर जाती है, जो कि कंपनियां अपनी सेवा शुल्क के रूप में व्यापारियों से वसूलती है।
रुपे कार्ड आने से दोहरा फायदा हो रहा है – एक तो विदेशी मुद्रा की बचत और रुपे का सेवा शुल्क वीसा और मास्टरकार्ड की तुलना में काफी काम है इसलिए व्यापारियों को भी फायदा है।
भारत सरकार ने रुपे कार्ड को बहुत तेजी से फैलाया है और आज देश में लगभग 30 करोड़ से भी ज्यादा रुपे कार्ड धारक हैं।
कैसे चुनौती बन रहा रुपे?
कार्ड जारी करने वाली संस्था भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम / National Payments Corporation of India (NPCI) ने एक अमेरिकी कार्ड जारीकर्ता कंपनी Discover Financial Services (DFS) के साथ tie up किया है। इस वजह से RuPay Card को दुनिया भर के सभी की Discover & Dinner के PoS(पॉइंट ऑफ़ सेल) और ATM Network पर स्वीकार किया जाने लगा है।
दुनिया भर में DFS के 25 लाख से अधिक व्यापारी है। इस तरह भारत के साथ-साथ RuPay को एक अंतर्राष्ट्रीय पहचान भी मिलने लगी है।
जब विदेशी कम्पनिया Visa और Master card अपनी सेवाओं के बदले व्यापारियों से भारी भरकम सेवा शुल्क वसूल रही है तब RuPay का आगमन इन विदेशी कंपनियों को बिलकुल भी रास नहीं आ रहा है।
भारत जैसे देश में जहाँ से वह बहुत बड़ा मुनाफा अपने घर ले कर जाती रही है और अब RuPay आने के बाद धीरे-धीरे उनके मुनाफे में भी कमी आने लगी है। ऐसा भी सुनने में आया था कि यह कंपनियां अपनी फ़रियाद ले कर अमरीका के राष्ट्रपति के पास भी गयी थी।
अगर सच में ऐसा है तो हमे अपने RuPay कार्ड पर गर्व होना चाहिए जो आज विश्व की मुख्य भुगतान प्रणाली एकाधिकार को चुनौती देते हुए टक्कर देने के लिए पूरी तरह से तैयार है।