किसी भी प्राणी का शाकाहारी या मांसाहारी होना किस पर निर्भर होता है?

शाकाहारी या मांसाहारी होना हमारी पसंद कभी नहीं हो सकती यह तो प्रकृति द्वारा निर्धारित है कि कौनसा प्राणी शाकाहारी होगा, पूर्ण माँसाहारी होगा अथवा दोनों। इंसान को छोड़ कर हर प्राणी प्रकृति के नियमों का पालन करता है और वही खाना खाता है जो उसकी प्राकृतिक वृत्ति (natural instinct) होती है।

कोई शेर इसलिए माँसाहारी खाना नहीं खाता कि वह उसकी पसंद है बल्कि इसलिए खाता है कि उसकी शारीरिक संरचना ऐसी है कि वह सिर्फ मांसाहार ही कर सकता है और ऐसा कर वह प्रकृति के नियमों का पालन कर प्रकृति में संतुलन बनाये रखने में सहयोग करता है। ऐसा ही अन्य किसी भी शाकाहारी प्राणी के साथ होता है, वह भूख से अपनी जान दे सकते हैं लेकिन कभी मांसाहार नहीं करते। बहुत से प्राणी ऐसे भी होते हैं जो दोनों तरह का आहार करते हैं क्योंकि प्रकृति उन्हें ऐसा करने की अनुमति देती है

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इंसान क्या है शाकाहारी या मांसाहारी?

अब इंसानों की बात करें तो इंसान की शारीरिक सरंचना बिलकुल वैसी ही होती है जैसी किसी शाकाहारी प्राणी की होती है, लेकिन इंसान प्रकृति के विरुद्ध जा कर हर तरह का स्वाद लेना चाहता है। फिर स्वादवश वह ऐसा करने लगता है। प्रकृति ने इंसान को न तो मांसाहार के लिए उपर्युक्त बनाया है न ही उसमें ऐसी कोई प्राकृतिक वृत्ति पायी जाती है कि, किसी जीवित प्राणी को देख कर उसकी लार टपकने लगे और उसे उसको मार कर खाने की इच्छा हो। जैसा की हमे किसी पेड़ पर लटके हुए फल को देख कर उसको तोड़ कर खाने की इच्छा होती है।

किसी भी शाकाहारी और माँसाहारी प्राणियों की शारीरिक बनावट और स्वाभाव में अंतर होता है जिसे हम इस तरह से समझ सकते हैं

शाकाहारी और माँसाहारी में अंतर

दाँतों की बनावट

किसी भी शाकाहारी प्राणी के दाँत सपाट होते हैं वहीँ माँसाहारी प्राणियों के दाँत तीखे होते हैं। इंसान के दांत सपाट होते हैं।

पानी पीने का तरीका

कोई भी शाकाहारी प्राणी चूस कर या खींच कर पानी पीता है जबकि माँसाहारी प्राणी चाट कर पानी पीता है। इंसान भी चूस कर या खींच कर ही पानी पीता है।

पैदा होने के बाद आंखों का खुलना

किसी भी शाकाहारी प्राणी का बच्चा जन्म लेते ही अपनी आँखों को खोल संसार को देख सकता है वहीँ माँसाहारी प्राणी का बच्चा जन्म के कुछ दिनों बाद ही आँखें खोलता है। इंसान का बच्चा जन्म लेते ही आँखे खोल लेता हैं।

नाखूनों की बनावट

शाकाहारी प्राणियों के नाख़ून सपाट होते हैं वही मांसाहारी प्राणियों के नाख़ून तीखे और लम्बे होते हैं। इंसान के नाख़ून सपाट होते है।

पाचन तंत्र

शाकाहारी प्राणियों का पाचन तंत्र मांसाहारी प्राणियों की तुलना में काफी लम्बा होता है। इसके पीछे मुख्य कारण यह है कि शाकाहारी प्रणियों का भोजन विषैला नहीं होता और उसमें विविध प्रकार के पोषक तत्व जैसे विटामिन, मिनरल इत्यादि पाए जाते हैं जिन्हे शरीर में अवशोषित होने के लिए लम्बे पाचन तंत्र की जरूरत होती है। दूसरी और माँसाहारी प्राणियों के भोजन में विषैले तत्व की मात्रा ज्यादा होती है। छोटा पाचन तंत्र विषैले तत्वों को शरीर में अवशोषित हुए बिना ही बाहर निकलने में सहायक होता है। इंसान का पाचन तंत्र लगभग 15 मीटर लम्बा होता है।

शरीर के तापमान नियंत्रण की प्रक्रिया

शाकाहारी प्राणियों की त्वचा से पसीने का उत्सर्जन होता है जिससे उसके शरीर का तापमान नियंत्रित होता हैं। माँसाहारी प्राणियों को पसीना नहीं आता और वह अपनी जुबान की सहायता से अपने शरीर का तापमान नियंत्रित करते हैं। मनुष्य को पसीना आता है।

मल और उसके त्यागने की प्रक्रिया

शाकाहारी प्राणियों में मल त्यागने की प्रक्रिया आसान होती है और मल में ज्यादा तीक्ष्ण गंध भी नहीं होती। मांसाहारी प्राणियों को मल त्यागने में ज्यादा ताकत लगनी पड़ती है और मल की गंध भी तीक्ष्ण होती है। इंसान का मल और उसको त्यागने की प्रक्रिया भी शाकाहारी प्राणियों की तरह ही होती है अगर इंसान अपना भोजन प्राकृतिक रखे।

रहन सहन

शाकाहारी प्राणी समूहों में मिलजुल कर रहते हैं और शांत प्रकृति के होते हैं। माँसाहारी प्राणी अकेले रहना ज्यादा पसंद करते हैं और उनका अपना क्षेत्र होता है जिसमें वह दूसरों का हस्तक्षेप सहन नहीं करते। माँसाहारी प्राणियों की प्रकृति उग्र होती है। इंसान भी सामजिक प्राणी है और शांतिप्रिय तरीके से रहना पसंद करता है।

सृजनात्मक कार्य

शाकाहारी प्राणियों में सृजनात्मक कार्य करने के गुण पाए जाते हैं। जैसे बैल, घोड़ा, गधा सदियों से इंसानो की सहायता करते आये हैं (हालांकि में किसी भी पशु के उपयोग के पक्ष में नहीं हूँ)। शाकाहारी प्राणी अपने समूहों में भी एक दूसरे की सहायता करते हैं। माँसाहारी प्राणी किसी भी तरह का कोई सृजनात्मक कार्य नहीं करते।

भोजन की शक्ति

वैसे तो यही कहा जाता है कि माँसाहारी खाने में ज्यादा ताकत होती है लेकिन हाथी, बेल, घोड़े को देख कर यह बात सत्य साबित नहीं होती कि कौन ज्यादा ताकतवर होता है, शाकाहारी या माँसाहारी? सोयाबीन में मांसाहार की तुलना में कहीं ज्यादा प्रोटीन होता है जो मांसाहार से ज्यादा सुपाच्य होता है। शाकाहारी प्राणी ज्यादा क्रियाशील होते हैं वहीँ मांसाहार प्राणी सिर्फ अपना शिकार करते हैं और खा कर ज्यादा समय सोते रहते हैं।

बुद्धिमता

शाकाहारी प्राणी मांसाहारी प्राणियों की तुलना में ज्यादा बुद्धिमान होते हैं शायद यही कारण है कि विभिन्न वैज्ञानिक प्रयोग शाकाहारी प्राणियों पर ही ज्यादा किये जाते हैं। इसमें कोई संदेह नहीं है की इंसान बुद्धिमान प्राणी है।

इन सब उदाहरणों से यह स्पष्ट है कि शारीरिक बनवाट और व्यवहार के आधार पर इंसान एक शाकाहारी प्राणी है।

अगर 99% मांसाहारी इंसानों को अपना शिकार खुद कर खाना पड़े तो शायद वह कभी मांसाहार न करे। वह तो मांस को पका कर स्वाद और खुशबू मिला कर थाली में परोस दिया जाते हैं इसलिए वह स्वादवश खा लेता है और मांसाहार का गुणगान करते नहीं थकता। लेकिन शाकाहार के साथ ऐसा नहीं होता। ज्यादातर शाकाहार सीधे पेड़ से तोड़ कर भी किया जा सकता है।

इंसान स्वाभाव और प्राकृतिक रूप से पूर्ण शाकाहारी है लेकिन अप्राकृति रूप से वह जानवरों को पैदा कर उनको मार कर पका कर खाने लगा है। और धीरे-धीरे यह उसकी आदत में शुमार हो गया है।

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