क्यों मनुष्य के लिए शाकाहार ही श्रेष्ठ आहार है?

इस धरती पर सिर्फ पेड-पौधे ही अपना भोजन बना सकते हैं बाकी सब प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से पेड-पौधों से प्राप्त भोजन पर ही निर्भर होते हैं। अर्थात पेड-पौधों से प्राप्त भोजन ही सम्पूर्ण भोजन होता है। जो लोग मांसाहार के पक्ष में तर्क देते हैं वह यह भूल जाते हैं कि वो जिस प्राणी का मांस खाते हैं उसका शरीर भी पेड-पौधो से प्राप्त भोजन से ही बना होता है।

जो प्राणी मांसाहारी होते हैं वह शौक से अथवा स्वाद के लिए मांसाहार नहीं करते बल्कि उन्हें प्रकृति ने बनाया ही इसलिए है कि वह शाकाहारी प्राणियों की संख्या को नियंत्रित कर सकें और इस धरती पर एक संतुलन बना रहे।

इंसान एक अलग किस्म का प्राणी है जिसकी मूल प्रवृत्ति तो शाकाहार है लेकिन अपने स्वाद के लिए वह किसी भी प्राणी को मार खाने से नहीं हिचकिचाता जबकि उसका मांसाहार करने से किसी भी तरह से प्रकृति में संतुलन में कोई योगदान होता बल्कि इसके उलट प्राकृतिक संतुलन बिगड़ रहा है क्योंकि वह मांसाहार के लिए पशुओं की खेती करने लगा है जो पर्यावरण के लिए घातक सिद्ध हो रहा है।

इंसान को सम्पूर्ण पोषण के लिए किसी भी तरह के पशु से प्राप्त किसी भी खाद्य जैसे मांस, दूध, शहद इत्यादि की कोई आवश्यकता नहीं है। एक सम्पूर्ण शाकाहारी व्यक्ति जो विविधता पूर्ण शाकाहार करता है एक स्वस्थ्य जीवन जीने में पूर्ण सक्षम है।

Leave a Comment